Urbanization of Kurukshetra in the 20th Century and Its Socio-Economic Impact
20वीं सदी में कुरुक्षेत्र का शहरीकरण और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
DOI:
https://doi.org/10.53573/rhimrj.2024.v11n1.025Keywords:
Kurukshetra, Urbanization, Socio-economic transformation, Infrastructure developmentAbstract
Kurukshetra, renowned for its historical and cultural heritage, underwent significant urbanization in the 20th century, leading to substantial socio-economic transformations. This review examines the process in depth, highlighting infrastructure development, changes in social structures, and economic dynamics. Key developments included road construction, railway expansion, and establishment of trade centers, enhancing accessibility and commercial importance. Urbanization gradually shifted traditional rural structures towards urban lifestyles, improving access to education and healthcare. Employment opportunities for women and youth contributed to improved living standards and societal recognition. However, tensions arose between rural values and urban expectations. Economically, the focus shifted from agriculture to trade and services, diversifying labor markets and benefiting locals and migrants alike. Environmentally, urbanization created challenges like resource strain, pollution, and ecological imbalance. The study concludes that while urbanization fostered Kurukshetra’s growth into a modern city, sustainable urban development plans are essential to address its social and environmental challenges.
Abstract in Hindi Language: कुरुक्षेत्र, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, 20वीं सदी में शहरीकरण के दौर से गुजरा, जिससे महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुए। यह समीक्षा इस प्रक्रिया का गहन अध्ययन करती है, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, सामाजिक संरचनाओं में बदलाव, और आर्थिक गतिशीलता को उजागर किया गया है। सड़क निर्माण, रेलवे विस्तार और व्यापारिक केंद्रों की स्थापना जैसे प्रमुख विकासों ने क्षेत्रीय और व्यावसायिक महत्व को बढ़ाया। शहरीकरण ने पारंपरिक ग्रामीण संरचनाओं को धीरे-धीरे शहरी जीवनशैली में बदल दिया, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार हुआ। महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों ने जीवन स्तर को बेहतर बनाया और समाज में उनकी पहचान बढ़ाई। हालांकि, ग्रामीण मूल्यों और शहरी अपेक्षाओं के बीच तनाव भी उत्पन्न हुआ। आर्थिक रूप से, कृषि पर निर्भरता कम हुई और व्यापार तथा सेवा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे श्रम बाजार में विविधता आई। पर्यावरणीय दृष्टि से, शहरीकरण ने संसाधनों पर दबाव, प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन जैसी चुनौतियां उत्पन्न कीं। अध्ययन निष्कर्ष निकालता है कि शहरीकरण ने कुरुक्षेत्र को एक आधुनिक शहर के रूप में उभरने का अवसर दिया, लेकिन इसकी सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों को हल करने के लिए टिकाऊ शहरी विकास योजनाओं की आवश्यकता है।
Keywords: पुस्तकालय, प्रबंधकीय कुशलता, तकनीकी विकास, डिजिटल पुस्तकालय।
References
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