Renunciation in Ramayana – Ayodhyakand
रामायण में वैराग्य – अयोध्याकाण्ड
DOI:
https://doi.org/10.53573/rhimrj.2024.v11n2.004Keywords:
renunciation, Ramayana, Ayodhyakand, Lord RamaAbstract
This study explores the theme of renunciation in the Ayodhyakand of the Ramayana. Focusing on Lord Rama’s decision to accept exile, King Dasharatha’s emotional turmoil, and Sita’s loyal support, the study finds these acts of renunciation underscore the ethical and spiritual values of the epic. The analysis reveals how these sacrifices exemplify the principles of dharma, selflessness, and duty, thereby enriching the ethical and philosophical dimensions of the narrative. This research makes it clear that renunciation has a profound impact on the characters and their journeys, proving its crucial role in shaping the epic’s enduring legacy.
Abstract in Hindi Language:
यह अध्ययन रामायण के अयोध्याकांड में त्याग की थीम का अन्वेषण करता है। भगवान राम के वनवास स्वीकार करने के निर्णय, राजा दशरथ की भावनात्मक उथल-पुथल और सीता के वफादार समर्थन पर केंद्रित यह अध्ययन इन त्याग के कार्यों को महाकाव्य के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को रेखांकित करता है। विश्लेषण से पता चलता है कि ये बलिदान धर्म, निःस्वार्थता और कर्तव्य के सिद्धांतों का उदाहरण कैसे प्रस्तुत करते हैं, जिससे कथा के नैतिक और दार्शनिक आयाम समृद्ध होते हैं। इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि त्याग का पात्रों और उनकी यात्राओं पर गहरा प्रभाव है, जिससे महाकाव्य की स्थायी विरासत को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका सिद्ध होती है।
Keywords: त्याग, रामायण, अयोध्याकांड, भगवान राम
References
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